Header Ads Widget

Best hindi poetry|| हिंदी कबिता ' कली नागिन ' Must be read

 *काली नागिन( kala nagin)

एक काली नागिन
मुझे अक्सर दिखती है
अंदर बाहर,रात दिन, घर, बाजार, राह चलते, पूजा करते
खाली बैठे, विचार में डूबे

मेरे सोने के पलंग, मेरे बैठक, मेरी रसोई
वो हर जगह आ जाती है
कभी वो प्रत्यक्ष वास्तविक लगती है
कभी लगती है मानो आंख को मन का दिखाया सपना हो

लाख दफा मैंने उसे पाया है
मेरे अगर बगल, सामने से आते
वीभिन्न विपरीत देहों में, चहरों मे
उनके अंगों, उनकी खाल से लिपटे, 
मुझे तकते

मुझे याद नहीं वो कब पहली मरतबा दिखी थी
मगर जब दिखी तो फिर रोज दिखने लगी
शायद पहले वो छोटी कमजोर रही हो
दिखायी न देती हो, ध्यान न जाता हो
मगर फिर वो मेरे साथ दिनों दिन बड़ने लगी 
साक्षात समक्ष होने लगी

छूने पर वो नम है
मानो अंधियारों, सीलन की जगह पलती हो
वो विषैले मीठे जहर की भरी है,
वो डसने का भय दिखाती है
और एवज में मांगती है दूध
पिलाओ मुझे दूध
नकारने उपरांत भी वो नहीं मानती
मांगती है दूध और दूध

शांत रखने
मैंने पिलाते आ रहा हूं उसे एक सदी से दूध
कभी मांग कर 
कभी बाजार से मोल खरीद कर
फिर उपाय कर मैंने बांध ली एक गाय
ताकि रोज पिलाउं उसे दूध
और रख सकूं शांत

पर वो दूध पी मेरा मुंह ताकती है
मानो पेट भरा हो , पर मन जन्म जन्म का प्यासा हो
वो दूध और दूध मांगती है
उसे दूध पिला कभी लगता है
कि मानो वो अब दूध नहीं मेरा रुधिर पी रही हो
हां वो पी रही है रुधिर
वो मुझे थोडा और थोड़ा और रोज पी रही है।

#योगी


*कविता अच्छी लगे तो लेखक के फेसबुक पेज "योगी की डायरी" पर अवश्य जायें, और भी सुंदर कविताएं आपकी प्रतीक्षा कर रही हैं।